December 21, 2024

श्रीकृष्णा जन्माष्टमी साल 2024 में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त के दिन मनाया जाएगा

इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त के दिन मनाया जाएगा हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का पर्व भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है माना जाता है कि उनका जन्म भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग में हुआ था। इस दिन जयंती योग का निर्माण हो रहा है ऐसे में जन्माष्टमी का व्रत करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है बता दें कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को कृष्ण जी के जन्म उपलक्ष्य में मनाया जाता है उन्हें विष्णु जी के आठवें अवतार के रूप में भी पूजा जाता है जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है यह पर्व पूरी दुनिया में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में बसे भारतीय भी पूरी आस्था व हर्षो उल्लास से मनाते हैं श्री कृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं,तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए जन्माष्टमी का दिन बेहद शुभ माना जाता है इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाती है यह दिन श्रीकृष्ण को समर्पित होता है जन्माष्टमी के इस अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा- उपासना की जाती है मान्यता है कि भगवान कृष्ण के शरणागत रहने वाले जातकों को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है इसी कड़ी में आइए जान लेते हैं कि इस साल कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा

 

कब है कृष्ण जन्माष्टमी
इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की रात 3 बजकर 39 मिनट पर होगी। 27 अगस्त रात 2 बजकर 19 मिनट पर इसका समापन होगा ऐसे में 26 अगस्त 2024 के दिन कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखा जाएगा।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूजा सामग्री


कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा के लिए आप केले के पत्ते, श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर, चावल, गेहूं, गुलाब और लाल कमल के फूल और भगवान के वस्त्र को शामिल करें। इसके अलावा जल कलश, सफेद कपड़ा,लाल कपड़ा,पंच रत्न, दीपक,बड़े दीपक के लिए तेल,नारियल,धूप बत्ती,अगरबत्ती और कपूर को रखें।

पूजा में केसर, चंदन, कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, रुई, रोली, सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला और तुलसी माला को रखें।

पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, शुद्ध घी, दही और दूध को जरूर शामिल करें।

ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, छोटी इलायची, लौंग मौली, इत्र की शीशी, सिंहासन, बाजोट या झूला (चौकी, आसन), पंच पल्लव और पंचामृत भी लें।

लड्डू गोपाल का श्रृंगार
जन्माष्टमी के दिन कृष्ण जी को श्रृंगार के लिए मोरपंख से बने वस्त्र पहनाएं इसके अलावा मोर मुकुट को जरूर शामिल करें माना जाता है कि इससे कान्हा जी प्रसन्न होते हैं लड्डू गोपाल के श्रृंगार में कड़े,पाजेब और कमरबंध को भी शामिल करें साथ ही कन्हैया जी के श्रृंगार के समय उन्हें कुंडल और जयंती की माला भी पहनाएं।

कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें इसके बाद घर में चौकी लगाकर कृष्ण जी के बाल रूप की प्रतिमा रखें इस दिन उनके बाल रूप की पूजा की जाती है बाद में सभी पूजा सामग्री को अपने पास एकत्रित कर लें इस दौरान कृष्ण जी के समक्ष दीप जरूर जलाएं फिर कृष्ण जन्म कथा का पाठ करते हुए उन्हें माखन का भोग लगाएं इस दौरान भगवान से प्रार्थना करते हुए कुछ मंत्रों का भी जाप करें।

“ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:”
भगवान श्रीकृष्ण का यह मंत्र बेहद लोकप्रिय है। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप करने से जातक के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

‘ऊँ क्लीं कृष्णाय नम:’ कृष्णजी की विशेष कृपा पाने के लिए आप जन्माष्टमी पर इस मंत्र का जाप कर सकते है।

‘ऊँ श्री कृष्णाय शरणं मम्’ जीवन में सुख-शांति और संकट की घड़ी से बाहर निकलने के लिए कान्हा के इन मंत्रों का जाप बेहद शुभ माना जाता है।