गणपति उत्सव की शुरुआत इस साल 7 सितंबर से होगी। यह उत्सव 10 दिन तक मनाया जाता है। 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन होगा। इसे गणेश चतुर्थी,गणेश उत्सव या विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है,हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है
यह त्यौहार घरों,सार्वजनिक स्थानों और मंदिरों में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना के साथ शुरू होता है,भक्तगण मूर्ति में देवता की आत्मा को आमंत्रित करते हुए “प्राणप्रतिष्ठा” अनुष्ठान करते हैं,भक्त दस दिवसीय उत्सव में भगवान गणेश की मूर्ति लाते हैं और दस दिनों तक उनकी पूजा अर्चना करते हैं।
भगवान गणेश से जुड़ा यह उत्सव दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कारणों से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश का जन्म गणेश उत्सव मनाने के सबसे प्रसिद्ध कारणों में से एक है- महाराष्ट्र,कर्नाटक,तमिलनाडु,छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों में यह त्यौहार बहुत ही उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी के अनुष्ठान:-
गणेश जी की मूर्ति का चयन: भगवान गणेश की मूर्ति चुनना बहुत भाग्यशाली माना जाता है। क्योंकि यह सुख और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए बैठे हुए गणेश की मूर्ति रखने का सुझाव दिया जाता है। इसके अलावा, मूर्ति के लिए यह आदर्श होगा कि गणेश जी का एक हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में हो और दूसरा हाथ मोदक पकड़े हुए हो, जो भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई है।
स्थापना दिशा:- गणेश जी की मूर्ति को इस तरह रखना ज़रूरी है कि उसका मुख उत्तर दिशा की ओर हो और उसे आपके घर की उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित किया जाए। सबसे पहले एक साफ़ मंच चुनें, उसे कपड़े से ढँक दें और उस पर मूर्ति स्थापित करें। ऐसा माना जाता है कि इस स्थिति में घर में आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
पूजा विधि:- शुद्धिकरण समारोह के तहत, मूर्ति स्थापित करने के बाद उस पर चावल और शुद्ध गंगाजल (पवित्र जल) छिड़कना चाहिए। मूर्ति के साथ आपको ऋद्धि और सिद्धि भी रखनी चाहिए, जो आध्यात्मिक शक्ति और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती हैं। मूर्ति के दाईं ओर एक जलपात्र रखें।इन तैयारियों के बाद भगवान गणेश को फूल,फल और मिठाई, खास तौर पर मोदक का भोग लगाएं। मंत्रों का जाप करके और आरती के रूप में देवता के सामने जलते हुए दीपक लहराकर पूजा की रस्म पूरी करें।
गणेश चतुर्थी का महत्व क्या है:-
इस उत्सव को गणेश उत्सव या विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।भगवान गणेश को ‘विघ्नहर्ता’ के नाम से भी जाना जाता है,और इसका मतलब है कि वे बाधाओं को दूर करने वाले हैं।यह उत्सव भक्तों के लिए जीवन की नियमित कठिनाइयों के लिए ऊपर से मदद मांगने का एक आदर्श अवसर है।
गणेश चतुर्थी पूजन मुहूर्त:-7 सितंबर को गणेश चतुर्थी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक रहेगा।
चतुर्थी तिथि कब से कब तक रहेगी:- हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद की चतुर्थी तिथि 06 सितंबर,2024 से दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर शुरू हो रही है,वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 07 सितंबर को शाम 05 बजकर 37 मिनट पर होगा।