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इस साल हलषष्ठी व्रत 24 अगस्त को रखा जाएगा। पंचांग अनुसार हल षष्ठी व्रत का प्रारंभ 24 अगस्त की सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर होगा

सनातन धर्म में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का विशेष महत्व माना जाता है हलछठ का पर्व जन्माष्टमी से दो दिन पहले मनाया जाता है। इसे ललही छठ (Lalai Chhath),बलदेव छठ,रंधन छठ,चंदन छठ,हरछठ (Harchhath),तिनछठी, तिन्नी छठ आदि नामों से जाना जाता है। मान्यताओं अनुसार इस दिन श्रीकृष्ण भगवान के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन बलराम जी की पूजा की जाती है। कहते हैं जो महिलाएं सच्चे मन से ये व्रत रखती हैं उनकी संतान को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। इस साल हल छठ का व्रत 24 अगस्त को रखा जा रहा है। यहां जानिए हरछठ की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त। आइए जानते हैं इस व्रत की तिथि,महत्‍व और खास नियम।इस दिन महिलाएं हल छठ व्रत रखती हैं। जिसे ललही छठ,हलषष्ठी व्रत,रांधण छठ के नाम से जाना जाता है।इस दिन बलराम जयन्ती (Balaram Jayanti) भी मनाई जाती है।मान्‍यता है कि भादों मास की कृष्‍ण षष्‍ठी को ही बलरामजी का जन्‍म हुआ था और इनके जन्‍म की खुशी में महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु के लिए व्रत करती हैं।इस व्रत को करने से बलराम जी का आशीर्वाद प्राप्‍त होता है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं हल से जोती गई फसल की कोई चीज नहीं खाती हैं और न ही जमीन में उगाई कोई चीज खाई हैं। दरअसल हल को बलराम जी का शस्‍त्र माना गया है। इसलिए हल से जोती गई चीजों का प्रयोग वर्जित माना जाता है। इस दिन तालाब में उगाई गई चीजें खाकर व्रत रखती हैं। आइए जानते हैं इस व्रत की तिथि कब से कब तक है और इस व्रत को रखने में महिलाओं को किन बातों का ध्‍यान रखना चाहिए।

महिलाएं भूलकर भी न करें ये गलतियां
✅हलषष्ठी के दिन व्रत रखने वाली महिलाएं भूलकर भी हल से जोती गई धरती पर न चलें।
✅हल चले जमीन का अन्न,फल,साग-सब्जी का सेवन करना वर्जित होता है।
✅इसदिन तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन का प्रयोग भूलकर भी न करें।
✅बच्चों व अपनो से बड़ों का अनादर ना करें और भूलकर भी इनसे तेज आवाज में बात न करें।

हलषष्ठी पूजा मुहूर्त 2024 (Hal Chhath 2024 Puja Muhurat)
इस साल हलषष्ठी व्रत 24 अगस्त को रखा जाएगा। पंचांग अनुसार हल षष्ठी व्रत का प्रारंभ 24 अगस्त की सुबह 7 बजकर 51 मिनट पर होगा और इसकी समाप्ति 25 अगस्त की सुबह 5 बजकर 30 मिनट पर होगी।

हलषष्ठी व्रत पूजा सामग्री

भैंस का दूध,घी,दही और गोबर
महुए का फल,फूल और पत्ते
ज्वार की धानी,ऐपण
मिट्टी के छोटे कुल्हड़
देवली छेवली. तालाब में उगा हुआ चावल
भुना हुआ चना, घी में भुना हुआ महुआ
लाल चंदन, मिट्टी का दीपक, सात प्रकार के अनाज
धान का लाजा,हल्दी,नया वस्त्र,जनेऊ और कुश

हलषष्ठी पूजन विधि-

इस दिन महिलाएं महुआ पेड़ की डाली का दातून,स्नान कर व्रत रखती हैं। इस दिन व्रती महिलाएं कोई अनाज नहीं खाती हैं। सामने एक चौकी या पाटे पर गौरी-गणेश, कलश रखकर हल षष्ठी देवी की मूर्ति या प्रतिमा की पूजा करते हैं। इस पूजन की सामग्री में बिना हल जुते हुए जमीन से उगा हुआ धान का चावल, महुआ के पत्ते, धान की लाई, भैंस का दूध-दही व घी आदि रखते हैं। बच्चों के खिलौने जैसे-भौरा,बाटी आदि भी रखा जाता है।

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