हर साल सावन शुक्ल पंचमी के दिन नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, इस दिन नागों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं ! इस साल नागपंचमी 9 अगस्त को पड़ रही है लेकिन क्या आप जानते हैं कि कैसे शुरू हुई नाग पंचमी मनाने की परंपरा तो जानिए इसके पीछे की कथा…
पहले कथा के अनुसार
समुद्र मंथन के समय वासुकी नाग को रस्सी बनाया गया था। जहां देवताओं ने वासुकी नाग की पूंछ पकड़ी थी, वहीं दानवों ने उनका मुंह पकड़ा था। मंथन में पहले विष निकला जिसे भगवान शिव ने कंठ में धारण किया और समस्त लोकों की रक्षा की। इसके बाद निकले अमृत को देवताओं को दिया गया। यह घटना सावन शुक्ल पंचमी तिथि को हुई थी, इसमें नागों के योगदान को याद करने के लिए नाग पंचमी पर्व के रूप में मनाया जाने लगा।
दूसरे कथा के अनुसार
एक राजा के सात बेटे थे, सभी के विवाह हो चुके थे। लेकिन सबसे छोटे बेटे को कोई संतान नहीं हुई थी, इससे छोटी बहू को उनकी जिठानियां ताने मारती थीं। इससे वह अक्सर रोनी लगती, पति समझाता तो भी बहू का दुख कम नहीं होता था। इसी तरह समय बीतता रहा, एक बार नागपंचमी से पहले उसे स्वप्न आया, सपने में उसे पांच नाग दिखाई दिए उसमें से एक ने उससे कहा अरी पुत्री कल नागपंचमी है कल अगर तू हमारा पूजन करे तो तुझे पुत्र रत्न की प्राप्ति हो सकती है। यह सुनकर वह जाग गई और पति को सारी बात बताई। इस पर पति ने कहा कि इसमें कौन सी बड़ी बात है। पांच नाग दिखाई दिए हैं तो पांचों की आकृति बनाकर पूजन कर देना। नाग लोग ठंडा भोजन करते हैं, इसलिए कच्चे दूध से उन्हें प्रसन्न करना। छोटी बहू ने वैसा ही किया और नौ महीने बाद उसे पुत्र की प्राप्ति हुई।
तीसरे कथा के अनुसार
श्रावण शुक्ल पक्ष पंचमी को ही भगवान श्री कृष्ण ने वृंदावन के लोगों की जान कालिया नाग से बचाई थी।भगवान ने सांप के फन पर नृत्य भी किया था। जिसके बाद वो नथैया कहलाए थे। तब से ही नागों की पूजा की परंपरा चली आ रही है।
एक और अन्य कथा के अनुसार
एक किसान के परिवार में दो बेटे और एक बेटी थी। एक दिन खेत जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे मर गए,पहले तो नागिन खूब रोई। बाद में बदला लेने का संकल्प किया और रात में किसान,उसकी पत्नी और दोनों बेटों को डस लिया।अगले दिन वह किसान की बेटी को डसने चली तो उसने उसके सामने दूध रख दिया और हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी। इससे प्रसन्न होकर नागिन ने किसान परिवार के सभी सदस्यों को जीवित कर दिया। इस दिन सावन शुक्ल पंचमी तिथि थी,तब से नागों के कोप से बचने के लिए नागपंचमी पर नागों की पूजा की जाती है।
नाग पंचमी पर होती है इन नागों की पूजा
नाग पंचमी के दिन बारह प्रकार के नागों की पूजा की जाती है जिन नागों को पूजा जाता है,उनमें अनन्त,वासुकि,शेष,पद्म, कम्बल,कर्कोटक,अश्वतर,धृतराष्ट्र,शङ्खपाल,कालिया,तक्षक व पिङ्गल नाग शामिल है। यदि कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे दूर करने के लिए नाग पंचमी के दिन चांदी से बने नाग नागिन के जोड़े को बहते पानी में प्रवाहित करें। इसके अलावा शिवलिंग पर चांदी के नाग नागिन का जोड़ा अर्पित करें। ऐसा करने से घर में धन-धान्य बढ़ेगा और सारे कष्ट दूर होंगे।
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