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Narak Chaturdashi : नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की चतुर्दशी को कहते हैं। इसे छोटी दीपावली,रूप चौदस,नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।

Narak Chaturdashi Ki Katha : नरक चतुर्दशी कार्तिक मास की चतुर्दशी को कहते हैं। इसे छोटी दीपावली, रूप चौदस, नरक चौदस और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है।
साल यह त्योहार 30 अक्टूबर 2024, बुधवार को मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के असुर का वध किया था। वहीं एक अन्य मान्यता के अनुसार,नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और शाम को दीपदान करने से नर्क की यातनाओं से मुक्ति मिलती है और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

पूजा-विधि : इस दिन यम की पूजा की जाए तो अकाल मृत्युके भय से मुक्ति मिल जाती है, इसीलिए इस दिन घर के मुख्य द्वार के बांई ओर अनाज की ढेरी रखें। इस पर सरसों के तेल का एक मुखी दीपक जलाना चाहिए लेकिन दीपक की लौ दक्षिण दिशा की ओर कर दें।

नरक चतुर्दशी पूजा विधि (Narak Chaturdashi Puja Vidhi)


1.नरक चतुर्दशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठना चाहिए और शरीर पर तिल के तेल की मालिश करनी चाहिए।
2.इसके बाद औषधिय पौधे को सिर के चारो और तीन बार घूमाना चाहिए।
3.ऐसा करने के बाद ही स्नान करना चाहिए।इस स्नान को अभ्यंग स्नान कहते है। जो नरक चतुर्दशी के दिन अत्यंत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।
4.इसके बाद शाम को आपको फिर से स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
5.स्नान करने के बाद दक्षिणा हाथ में रखकर यमराज को याद करें और उनसे अपने पापों के लिए क्षमा याचना करें।
6.इसके बाद एक तेल का दीपक यमराज के नाम से जलाएं और उसे अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें।
7.ऐसा करने के बाद दक्षिण दिशा में खड़े होकर अपने पितरों को याद करें और उनके नाम से भी एक तेल का दीपक जलाएं। 8. नरक चतुर्दशी को रूप चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इसलिए इस दिन श्री कृष्ण की पूजा भी अवश्य करें।
9.अंत में किसी निर्धन व्यक्ति को दीपों का दान अवश्य करें। 10. नरक चतुर्दशी के दिन आधी रात में अपने घर का बेकार सामान घर से बाहर फेंक दे ऐसा करने से आपको घर की दरिद्रता दूर हो जाएगी।

नरक चतुर्दशी पर किये जाने वाले स्नान को अभ्यंग स्नान कहा जाता है जो कि रूप सौंदर्य में वृद्धि करने वाला माना जाता है। स्नान के दौरान अपामार्ग के पौधे को शरीर पर स्पर्श करना चाहिये और नीचे दिये गये मंत्र का जाप को पढ़कर उसे मस्तक पर घुमाना चाहिये।

सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्।

हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।

स्नानोपरांत स्वच्छ वस्त्र धारण कर तिलक लगाकर दक्षिण दिशा में मुख कर तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिये। इसे यम तर्पण कहा जाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह तर्पण विशेष रूप से सभी पुरूषों द्वारा किया जाता है। चाहे उनके माता-पिता जीवित हों या गुजर चुके हों।

ॐ यमाय नम:
ॐ धर्मराजाय नम:
ॐ मृत्यवे नम:
ॐ अंतकाय नम:
ॐ वैवस्वताय नम:
ॐ कालाय नम:
ॐ सर्वभूतक्षयाय नम:
ॐ औदुम्बराय नम:
ॐ दध्राय नम:
ॐ नीलाय नम:
ॐ परमेष्ठिने नम:
ॐ वृकोदराय नम:
ॐ चित्राय नम:
ॐ चित्रगुप्ताय नम:।।

इन सभी देवताओं का पूजन करके सांयकाल में यमराज को दीपदान करने का भी विधान है। दीपक जलाने का कार्य त्रयोदशी यानि धनतेरस से लेकर दीपावली तक किया जाता है।

नरक चतुर्दशी तिथि व शुभ मुहूर्त
नरक चतुर्दशी तिथि – 30 अक्टूबर 2024

अभय स्नान मुहूर्त – प्रातः 05:20 से प्रातः 06:32 तक

समयावधि – 01 घण्टा 13 मिनट

नरक चतुर्दशी आरंभ – 30 अक्टूबर 2024 की दोपहर 01:15 से
नरक चतुर्दशी समाप्त – 31 अक्टूबर 2024 की दोपहर 03:52 तक

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